प्रमुख आकर्षण

प्रमुख आकर्षण

दादा आदिनाथ जी की भव्य प्रतिमा
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अयोध्यापुरम तीर्थ का प्रमुख आकर्षण है 108 किलो वजनी रजत मुकुट से सुसज्जित दादा आदिनाथ जी की असाधारण शक्तियों से भरपूर भव्य 23 फिट की प्रतिमाजी।

इस प्रतिमा के लिए जयपुर से 70 किमी दूर जीरी खदान में से शिला प्राप्त हुई। इसी शिला को यहां लाकर दादा आदिनाथ जी की प्रतिमा का निर्माण किया गया।

जानिए बड़ा ही रोचक प्रतिष्ठा इतिहास

अद्भुत शिल्पकला का जिनालय
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दादा आदिनाथ जी को प्रतिमा जी को विराजमान करने के लिए निर्मित जिनालय सम्पूर्ण भारतवर्ष में जिनालयो में शिल्पकला की अभिनव मिसाल बन चुका है।

  • देश दुनिया में पहली बार जिनालय के लिए चंद्राकार का प्रवेश निर्मित किया गया है।
  • चंद्राकार प्रवेश में 23 तीर्थंकर की प्रतिमाओं का स्थापन किया गया है।
  • मन्दिर की लम्बाई 161 फुट, जबकि चोडाई 108 फुट है।
  • शिखर पर ध्वज दंड 25 फुट का है।
  • मन्दिर का तल घर 161 फुट लम्बा और 114 फुट चौड़ा है।
  • भविष्य में जिन शासन के सत्यों को प्रगट करती सुंदर प्रदर्शनी सजाने की योजना है।
  • इस मन्दिर निर्माण कार्य में पत्थर, ईंट, रस्सी मचान के लिए लकड़ी की बांस बल्ली विशालमात्रा में उपयोग की गई है।

मन्दिर का भव्य गर्भगृह
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  • जहां मूलनायक श्री आदिनाथ दादा विराजित है, वह गर्भगृह 28 फुट गुणा २८ फुट लम्बा चौड़ा एवं 55 फुट ऊँचा है।
  • मन्दिर का विशाल रंग मंडप 87 फुट लम्बा- चौड़ा है।
  • रंग मंडप की खास विशेषता यह है की बीच में एक भी स्तम्भ नहीं है।
  • रंग मंडप के ऊपर का घुम्मट 3 फुट गुणा 3 फुट की चौड़ाई वाला है।
  • घुम्मट 32 स्तम्भों की ऊपर रहा हुआ है, जिसकी ऊंचाई 70 फुट है।
  • घुम्मट के स्तम्भों पर विविध प्रकार की आकर्षक कारीगरी और नक्काशी की गई है।
  • मन्दिर का शिखर नवकार के 68 अक्षर के सामान 68 फुट ऊँचा है, जिसका आकार विशाल घंट के समान है।
  • इस जिनालय के विशाल घुम्मट के ऊपर एसा ही विशाल आलिशान समवसरण बनाया गया है, यहां मन्दिर की प्रदक्षिणा की व्यवस्था भी है।

तीन हजार साल प्राचीन प्रतिमाजी
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मन्दिर में तीन हजार साल प्राचीन चिंतामणी पार्श्वनाथ भगवान की सालमगढ़ से लाई गई प्रतिमा जी भी है। वही करीब तीन हजार साल पुरानी वस्त्र अलंकृत सहित भगवान महावीर स्वामी जी प्रतिमा का भी यहां दर्शन लाभ भक्त लेते हैं।

नवकार मन्दिर
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  • सम्पूर्ण तीर्थ परिसर का चेतना केंद्र है यह नवकार मन्दिर।
  • यहां परमात्मा प्रतिष्ठा निर्माण तक 36 महीनों तक अखंड नवकार जप हुआ।
  • इतना ही नहीं, कार्य पूर्णता के अंतिम 18 दिनों तक साधू साध्वीजी द्वारा अखंड जाप किया गया।
  • इस मन्दिर में जाप का क्रम लगातार जारी है और अब तक कोई चार करोड़ नवकार जाप हो चुके हैं।
  • जिससे यह तीर्थ परिसर चैतन्यमय है और यहां साधना करने वालों को इसकी परोक्ष अनुभूति होती है।

क्षेत्रपाल देवता
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नवकार मन्दिर के समीप अद्भुत और आलौकिक सामर्थ्यवान व संकल्पवान क्षेत्रपाल देवता के जाग्रत मन्दिर की स्थापना की गई है।

“जिसके जीवन में अभाव है उसका संरक्षण करना रचनात्मक कार्यों में शामिल हैं।”