

सम्मिलित परिचय

तीर्थ प्रेरक एवं मार्गदर्शक

‘बंधु बेलड़ी’ के नाम से सुप्रसिद्ध
जिनशासनरत्न पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्रसागर सूरीश्वर जी महाराज साहेब
और
जिनशासनरत्न पूज्य आचार्य श्री हेमचंद्रसागर सूरीश्वर जी महाराज साहेब
दोनों बंधुवर्य विश्व प्रसिद्ध जैन आर्यतीर्थ अयोध्यापुरम के प्रेरक और मार्गदर्शक हैं।
आज से 50 साल पहले सुप्रसिद्ध जैन संत, जिनागम मर्मज्ञ पन्यासप्रवर श्री अभयसागर जी महाराज के प्रशिष्य के रूप में स्वयं के वडिल बंधु पू.आ.श्री अशोकसागरसूरीश्वर जी महाराज के शिष्य के रूप में दोनों ने जैन दीक्षा ली।
यह दोनों बंधु आचार्य जैनसंघ में सुप्रसिद्ध और संघ मानी जैनाचार्यों में प्रथम पंक्ति में बिराजमान होकर विशिष्ट और विरल सत्पुरुष है।
गृहस्थ परिचय
- गृहस्थ नाम जयकांत भाई एवं हर्षकान्त भाई
- पिताजी श्री शांतिलाल
- माताजी श्रीमती मंगू बहन
- ग्राम छाणी ( बडोदा गुजरात)
- जन्म वि.सं. 2009 2011
- व्यवहारिक अभ्यास कक्षा 6 गुजराती
दीक्षांत परिचय
- दीक्षा वि.सं. 2020 वैशाख सुदी 10
- दीक्षादाता गणिवर्य ( बाद में उपाध्याय) श्री धर्मसागर जी म.सा.
- गुरुदेव
- दीक्षा में पू. गुरुदेव मुनिवर श्री अभयसागरजी म.सा.
- बड़ी दीक्षा में पू. मुनि (वर्तमान आचार्य) श्री अशोकसागर जी म.सा.
- शिक्षा पू.पं.प्र. गुरुदेव श्री अभय सागर जी म.सा.
- अभ्यास आगम, व्याकरण, साहित्य, न्याय प्रकीर्णक सूत्र आदि...
- विशेषता संगीत साहित्य वक्तृत्व विशारदाता ( श्री नमस्कार महामंत्र जपयुग प्रवर्तक श्री आगम परिचय वाचना के पुरस्कर्ता)
- गणीपद वि.सं. 2042 चाणस्मा
- गणीपद प्रदाता पू. पन्यास गुरुदेव श्री अभयसागर जी म.सा.
- पन्यास पद वि.सं. 2047 इंदौर
- पन्यास पद प्रदाता गीतार्थ श्रेष्ठ पू.आ.श्री सूर्योदयसागर सूरीश्वर जी म.सा.
- उपाध्याय आचार्य पद वि.सं. 2053 सूरत
- उपाध्याय आचार्य पद प्रदाता पू. शासन प्रभावक आ.श्री. अशोकसागर सूरीश्वर जी म.सा.
समाधि पूज्य आचार्य श्री जिनचंद्रसागर सूरीश्वर जी म.सा. – महावद एकादशी बुधवार 7 मार्च 2024 रात्रि 1: 11 बजे, पावन भूमि अयोध्यापुरम तीर्थ
मुख्य उपलब्धियाँ
- मुख्य गुण साहस, उत्साह, समर्थता, कलाप्रिय, शिष्यशिल्पी
- ऐतिहासिक कार्य
- जैन आर्य तीर्थ अयोध्यापुरम,
- सुमेरु नवकार तीर्थ,
- सूरत से सम्मेतशिखर जी का 140 दिन का छ'रि पालित महासंघ,
- चैन्नई से पालीताणा का 136 दिन का छ'रि पालित महासंघ,
- रतलाम से पालीताणा और इंदौर से पालीताणा का छ'रि पालित महासंघ
- परिवार में से दीक्षित 65
- पुस्तक सर्जन सम्पादन 65
- तपोधर्म 77 ओलीजी, 2 वर्षीतप, नवपद जी की ओलियाँ
- संगठन श्री नवकार परिवार (मप्र) इंदौर, चैन्नई, सूरत, बडोदा, मुंबई, ऊंझा,वसाद, चारकोप, बैंगलौर, अहमदाबाद,मंदसौर,हैदराबाद,रतलाम और मालवा में कई जगह पर नवकार विहार सेवा परिवार
- समग्र अहमदाबाद के 262 श्वे.मू. जैन संघो का संगठन याने श्वेताम्बर, मूर्तिपूजक,तपागच्छ महासंघ अहमदाबाद

बंधु बेलड़ी पू.आ.श्री जिनचंद्रसागर सूरिश्वर जी म.सा.
तथा
पू.आ.श्री हेमचंद्रसागर सूरिश्वर जी म.सा. की निश्रा और उपस्थिति में…
शासन प्रभावक कार्यों की श्रंखला
- श्रावक जीवन की दीक्षा स्वरुप उपधान तप 45
- अरिहंत परमात्मा की गादी नशीन प्रतिष्ठा 65
- छ'रि पालक संघ 50
- नवपद जी की सामूहिक ओलीजी 28
- पौष दशमी की सामूहिक आराधना 19
- आगम परिचय वाचना 18
- मांसाहार और व्यसन त्यागी 10,000 व्यक्ति
चातुर्मास
- सूरत
- अहमदाबाद
- मुंबई
- गुजरात
- मध्यप्रदेश
- राजस्थान
- प.बंगाल
- तमिलनाडु
प्रभु का प्रसाद और गुरु का गौरव
पूज्यश्री की निश्रा में हुए सामूहिक जाप, पूजन एवं आलेखन का शिलालेख
- 25 दिवस में 7 करोड़ 55 लाख (11 दिवस में)
- 500 दिवस में 3 अरब 11 करोड़ 19 लाख (100-100 दिवस में)
- 54 दिवस में 2 करोड़ 3 लाख 50 हजार श्वेत पुष्प से पूजन के साथ
- 700 दिवस में 5 करोड़ 3 लाख नवकार आलेखन (100-100 दिवस में)
- 9400 दिवस में अखंड जाप (विविध समय के लिए)
- कुल 1270 दिवस में 3 अरब 26 करोड़ 50 लाख 25 हजार
- नवकार आलेखन के माध्यम से आध्यात्मिक क्रांति
बंधु बेलड़ी के पावन दर्शन

बंधु बेलड़ी के सांनिध्य में…

अनुपम एहसास
- प्रभुमय गुरुतत्व का एहसास
- गुरुमय शिष्यत्व का एहसास
- कल्याणमय कृतित्व का एहसास
- प्रभावमय वृक्तत्व का एहसास
- निर्णायक नेतृत्व का एहसास
- निष्काम कर्तत्व का एहसास
- विलक्षण व्यक्तित्व का एहसास
- अध्यात्ममय अस्तित्व का एहसास
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संस्कार सिंचन
- जिनका एक एक समय संयम बनता है
- जिनका एक एक सिद्धि समर्पण बनता है
- जिनका एक एक प्रवचन प्रेरणा बनता है
- जिनका एक एक संगीत भक्ति बनती है
- जिनका एक एक साहस इतिहास बनता है
- जिनका एक एक सूझ संगठन बनाता है
- जिनका एक एक आचार आदर्श बनता है
- जिनका एक एक आशीष आधार बनता है
- जिनका एक एक परिचय प्राप्ति बनती है
- जिनका एक एक पात्रता की प्रगति बनती है
अध्यात्म अनुभव
- संयम का साक्षात्कार
- पुण्य का प्रभाव
- उमंग का उत्सव
- वैविध्य का वैभव
- गुरु का गौरव
- शासन का श्रंगार
- अनुरागी का आनंद
- आराधक का आलम्बन
- और..अध्यात्म का अनुभव
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बंधु बेलड़ी का विस्तृत परिचय जानें


पू. आ. श्री जिनचंद्रसागर सूरीश्वर जी म.सा.
