

गुरुकुल

महोपाध्याय श्री धर्मसागर जैन वल्लभी विधापीठ नि:शुल्क ‘गुरुकुल’

निर्माण का इतिहास…इतिहास का निर्माण
अयोध्यापुरम महातीर्थ के प्रेरक, संस्थापक और मार्गदर्शक परम पूज्य बंधु त्रिपुटी आ.दे.श्री. जिनचंद्रसागर सूरीश्वरजी तथा आ.दे.श्री. हेमचंद्रसागर सूरीश्वरजी जब विहार कर रहे थे, तब उनकी धर्मयात्रा में अनेक ऐसे जैन मध्यमवर्गीय परिवार संपर्क में आते थे, जिनकी आर्थिक परिस्थिति उचित नहीं है। उनकी संताने प्रतिभा सम्पन्न और गुणवान है। फिर भी आवश्यक व्यवहारिक शिक्षण प्राप्त कर सके इतने सम्पन्न नहीं थे। वे आज का व्यवहारिक आवश्यक शिक्षण भी नहीं ले सकते तो धार्मिक शिक्षा की तो बात ही क्या?
एक अद्भुत उत्तर – गुरुकुल
ऐसे विचार से चिंतित पूज्यश्री ने भविष्य की ओर देखते हुए विचार किया कि धर्म शिक्षण से वंचित ऐसे सैकड़ो परिवारों की संताने अशिक्षित रहेगी तो आने वाली जैन पीढ़ी का और समग्र जिन शासन का भविष्य क्या होगा ? इस विचार केवल विचार के स्तर तक ही सीमित नहीं रखते हुए पूज्यश्री ने इस विचार को आचार के स्तर पर साकार कर दिया।
पूज्यश्री पर परम कृपालु परमेश्वर की कृपा और उनके पूज्य गुरुदेव के आशीर्वाद से वर्तमान पीढ़ी के संस्कारित व्यवहारिक और धार्मिक शिक्षण प्रशिक्षण के सिंचन के लिए एक अद्भुत उत्तर मिला- “गुरुकुल” और वह भी सर्व सुविधायुक्त होकर पूरी तरह से निशुल्क! यह विचार उत्मोतम होने के बावजूद उसका सतही स्तर पर क्रियान्वयन बेहद ही कठिन जान पढ़ता था, लेकिन दृढ़ मनोबल और श्रद्धा से इस कोशिश की शुभ शुरुआत हुई।
पढिये किस तरह
राजकोट निवासी श्री जयंतभाई मेहता और इनकी धर्मपत्नी तरुलता बहन का इस पुनीत कार्य में सहयोग मिला और ऐसे ही एक दिन महोपध्याय श्री धर्मसागर वल्लभी विधापीठ का शुभारम्भ हुआ। परिणाम स्वरूप कक्षा छह से आठ तक 35 बच्चों से शुरुआत हुई। यह शिक्षण यात्रा आज कक्षा दसवीं तक 165 बच्चों तक की मंजिल तय कर चुकी है।
सर्वसुविधायुक्त आवास परिसर
गुरुकुल में अध्ययनरत विधार्थियों के लिए सर्वसुविधायुक्त नवीन बहुमंजिला आवास परिसर का निर्माण किया गया है। जिसका गरिमापूर्ण समारोहपूर्वक उद्घाटन 7 अप्रैल रविवार 2019 को पू.आ.देव श्री जिनचंद्रसागर सूरिश्वर जी म.सा. एवं पू.आ.देव श्री हेमचंद्रसागरसूरिश्वर म.सा.की पावन निश्रा में हुआ। इस नवीन आवास परिसर में 250 से ज्यादा विधार्थियों के लिए आवास, अध्ययन सहित अन्य अभी जरूरी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध हैं। जिसे शैक्षणिक सत्र 2019-20 से गुरुकुल में अध्यनन के लिए आने वाले विधार्थियों के लिए आरम्भ किया गया। जिससे वे सर्वसुविधायुक्त परिसर में अपने व्यक्तित्व का समग्र विकास कर सके।
गुरुकुल में आने से पहले जो बच्चे नमस्कार महामंत्र का भी उर उच्चारण नहीं कर सकते थे, वे ही बच्चे यहां आकर और विकसित हुए। उनकी प्रतिभा सोलह कलाओं से खिल उठी। यहां के विधार्थी श्रेष्ठ आचार विचार के साथ जैन संस्कार संयुक्त जीवन के पथ पर आगे बढने लगे। यहां शिक्षण से ऐसे तेजस्वी होने लगे कि अयोध्यापुरम गुरुकुल वल्लभीपुर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त कर अग्रणी बन चुका है।
गुरुकुल यानि...
- जिनशासन को समझाती - पाठशाला
- जीवन को सदाचार से सजाती- कलाशाला
- परिवार, राष्ट्र के संस्कार प्रगट करती - प्रयोगशाला
दैनिक दिनचर्या
Every day fun day… life is a Sunday
Every son is sun of every day…
- प्रात: - 5:30 से 6:00 प्रात:काल जागरण
- प्रात: - 6:30 से 6:15 योग-व्यायाम
- प्रात: - 6:15 से 7:00 अभ्यास
- प्रात: - 7:00 से 7:15 सामायिक पाठशाला
- प्रात: - 7:55 से 8:10 प्रभु दर्शन - गुरुवन्दन
- प्रात: - 8:10 से 8:30 नवकारशी
- प्रात: - 8:30 से 9:00 स्कूल अभ्यास
- प्रात: - 9:00 से 9:45 .....
I can do it- we can win
जो करेंगे दिल से… करेंगे पूरी लगन से...
विधापीठ की विशेषताएँ
- वल्लभीपुर तहसील की पहली नॉन ग्रांटेड स्कूल
- संस्कारी और स्नेही कुशल गृहपति शिक्षकों की देखरेख में शिक्षण कक्षा 6-7-8-9-10 तक
- लेबोरेटरी, लायब्रेरी और कम्प्युटर लेब के साथ होम थियेटर में मर्यादापूर्ण अभ्यास
- विविध विषयों में निष्णात और निपूण की सलाह और सेवा
- विभिन्न प्रवृति में कुशल शिक्षा के लिए कुशल को निमंत्रण
- कक्षा 10 में 90% से अधिक हर वर्ष परीक्षा परिणाम
- मातृ भाषा में शिक्षण के साथ अंग्रेजी भाषा में निपुणता के लिए विशेष फोकस
- विधार्थियों को योग, कराते, बॉक्सिंग सहित अन्य खेलों का कोच द्वारा प्रशिक्षण व नियमित अभ्यास
- गुरुकुल के खिलाडी गुजरात के खेल महाकुम्भ में विविध खेल स्पर्धाओं में पदक विजेता बने
- शैक्षणिक, पर्यटन और धार्मिक यात्रा तथा प्रवास कार्यक्रम
- गुरुकुल से निकले कई विधार्थी आज देश दुनिया में प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों में सम्मानजनक पॅकेज पर अपनी सेवाएँ दे रहे है
- प्रत्येक तीन माह में परिवार मिलन के साथ शिक्षक और माता पिता द्वारा हर विधार्थी के प्रोग्रेस रिपोर्ट पर चर्चा व आवश्यक सुधार पर विचार विमर्श
धर्म की धुरा धारण करेंगे
- धुरा धारण करेंगे
- प्रतिदिन नवकारशी, सुबह प्रभु दर्शन,गुरुवन्दन,प्रभु पूजा, चोविहार,तिविहार, आरती और सामूहिक महामंत्र की साधना, पाठशला, गुरुवाणी...
- रविवार को अष्टप्रकारी पूजा, विविध अनुष्ठान, समूह सामायिक
- पांच तिथि प्रतिक्रमण
- अलग अलग गुरु भगवंतों के प्रवचन, सामैया व संघ भक्ति
- अलग अलग संघों में हर वर्ष महापर्व पर्युषण की आराधना के लिए बच्चे तैयार
- प्रतिवर्ष 20 से 25 विधार्थियों द्वारा उपधान तप से जुड़ना
- हर रोज 2 अखंड अयाम्बिल, पांच तिथि बियासणा, चोमसे में अलग 45 दिन बियासना, अनेक बच्चो की अट्ठाई, अठम, उपवास, पौषध की आराधना, ओली की आराधना औरप्रमुख पर्वो को मानना
- बच्चों की कक्षा के मुताबिक सर्वांगी धार्मिक अभ्यास
- एक बालक साल में 1 गाथा, 500 स्वाध्याय, 70 प्रतिक्रमण व 120 सामायिक कम से कम
- जिनशासन के अनेक प्रसंगों में अद्भुत नृत्य और नाटिका की दिलधड़क हर्दयस्पर्शी प्रस्तुति
- चार मुमुक्षु द्वारा दीक्षा स्वीकार
यह तो गिनती में थोड़ा सा अंदाज है...
गुरुकुल का तो यहां जोरदार मिज़ाज है ...
गुरुकुल के चार मुमुक्षु विधार्थियों द्वारा संयम जीवन स्वीकार, 665 बच्चों की सामूहिक आराधना, 175 उपधान, 5985 आयम्बिल, 38,500 प्रतिक्रमण, 200 अठ्ठाई, 12,450 एकासणा, 92,400 सामायिक, 114 अठ्ठम, 19,230 बियासाणा...लाखों नवकार, हजारों गाथा, लाखों का स्वाध्याय, पर्युषण विविध क्षेत्रों में गुजरात, महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश में पर्युषण की आराधना के लिए बच्चो की टीम तैयार
विधादान - महादान
गुरुकुल में लाभ लेने का अमूल्य अवसर
श्री अयोध्यापुरम सेवा संस्थान ट्रस्ट में...
- विधादान का विशिष्ट का लाभ -- एक साल का नकरा ----
- आजीवन विधार्थी को विधादान - 2,51,000/-
- गणवेश-धार्मिक उपकरण दाताश्री 2,51,000/-
- शैक्षणिक साधन के दाताश्री 2,00,000/-
- विधा दाताश्री एक बालक-एक वर्ष 25,000/-
- विधा सहायकश्री वर्ष 11,000/-
- विधार्थियों को तीन समय की भोजन भक्ति एक दिन 11,000/-
- विधार्थियों को एक समय की भोजन भक्ति एक दिन 4,000/-
- एक दिन का अल्पाहार (नाश्ता) दाताश्री 3,000/-
- एक दिन का स्कूल में रिसेस में नाश्ता 2,000/-
स्मरण रहे-
ट्रस्ट को दिया हुआ दान आयकर की धारा 80G के तहत करमुक्त है
Income tax pam no AAHTS649776C
अयोध्यापुरम महातीर्थ का महामुद्रा लेख
आज की गाथा..कल की गाथा...
गुरुकुल की गौरवगाथा...
विधार्थी की कल्याण गाथा...
शिक्षा एक केवल पाठ्य पुस्तकों को जोड़कर मिले हुए अंकों का जोड़ नहीं बल्कि शिक्षण वह तो अददात संस्कार, सर्वग्राही ज्ञान, परम्परा का समाज, शास्त्रों की वाणी, आधुनिकता का विवेकपूर्वक स्वीकार, मूल्यों का बचत और धर्म की समझ- सदाचार का योग है।
ऐसी उच्चतम विचार सरणी को ध्यान में रखकर आने वाली पीढ़ी के जैन संतानों के लिए तैयार हुआ एक महाशिक्षण धाम यानि...
अयोध्यापुरम महातीर्थ गुरुकुल
जी, हाँ यह मात्र शिक्षा का धाम नहीं..
बल्कि जीवन का धाम है...
कम आय फिर भी ज्यादा धर्म श्रद्धाबल वाले जैन परिवार के तेजस्वी बच्चों को यंहा घर से पहने हुए वस्त्रों में ही आना होता है। उनके रहने, खाने, नहाने, पहनने, खेलने की जीने की और विकास की सारी जवाबदारी, हमारी संस्था उठा लेती है और वह भी पूरी तरह से निशुल्क..!! हम बच्चों का जिम्मेदारीपूर्ण परवरिश को दत्तक लेंगे। उसको अर्थसम्पन्न, धर्म सम्पन्न श्रावक और नागरिक बनायेंगे इसलिए ही अयोध्यापुरम का महामुद्रालेख रखा है।
सर्वोत्तम शिक्षा- संस्कार का समास
यह ही बालक का सर्वग्राही विकास
यहां बच्चों के वेष में, ज्ञान संस्कार प्राप्त करते देव है...
यह शाला है किन्तु, उसकी महिमा तीर्थ जैसी है....
गुरुकुल में प्रवेश सहित अन्य जानकारी के लिएसंपर्क
- श्री जयंतभाई – 98254 44654
- श्री अतुल भाई – 98247 - 41062
- श्री प्रकाश पंडित जी – 87803 57737