पूज्य आचार्य श्री हेमचंद्रसागर सूरीश्वर जी म.सा.

सच के सिंहनाद समान

पूज्य आचार्य श्री हेमचंद्रसागर सूरीश्वर जी म.सा.

प्रवचन प्रभावक
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आचार्य श्री हेमचन्द्रसागर सूरीश्वरजी महाराज सुप्रसिद्ध विद्वान और प्रभावक वक्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं। जैसे कुशल शिक्षक पढ़ाते है वैसी ही रसाक्त शैली में प्रवचन देते हैं। प्रवचन में जरूरी शब्द वैभव, तर्कबद्ध समाधान, सुसचोट दृष्टांत और विषय को प्रतिबद्ध बनकर बोलने की कुशलता, आपश्रीकी प्रवचन शैली की विशेषता है।

श्री नवकार परिवार
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स्वयं के पू. गुरुदेव पन्यास श्री अभयसागरजी म.सा. की नवकार भक्ति की आगम वाचना को आपश्री ने बखूबी संभाला है।

जहां जहां पूज्यश्री चातुर्मास करते हैं या शेषकाल में विचरते हैं, वहां वहां "श्री नवकार परिवार" की स्थापना करकर आपश्री ने हजारों भावुकों को नवकार गिनाया है, साथ ही साथ इस परिवार के माध्यम से धर्म और संस्कृति रक्षा का अद्वितीय कार्य करवाया है।

साधना आराधना
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आ. श्री हेमचन्द्रसागरसूरीजी ने स्वयं भी करोड़ों नवकार मन्त्र के जाप किये हैं। श्री नवकार मन्त्र की विशिष्ट सामूहिक आराधना बड़े पैमाने पर और भव्यतापूर्वक करवाने में अतिकुशल हैं।

सुशिक्षित और अनुशासित एक सौ से भी ज्यादा शिष्य - प्रशिष्य की संपदा के धारक पूज्य श्री जिनशासन में और श्रीसंघ में गरिमापूर्ण स्थान पर हैं।

पूज्यश्री सिर्फ जाप साधक ही नहीं, वरन वर्धमान तप की 77 ओलियाँ और दो वर्षीतप आदि करवाने वाले तपस्वी भी हैं।

आपश्री के अनेक शिष्य भी विशिष्ट ज्ञानी, आगम ग्रंथो को कंठस्थ करने वाले, लेखक, वक्ता और वर्धमानादि तप के साधक हैं।

कुशल प्रबंधन के धनी
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पूज्यश्री श्री अयोध्यापुरम महातीर्थ और सुमेरु नवकार तीर्थ के प्रेरक और मार्गदर्शक हैं।

यह दोनों तीर्थ आपके मार्गदर्शन में ही संचालित हैं। उनका कुशल प्रबंधन तो देखते ही बनता है।

पूज्यश्री की स्थापत्य कला के प्रति मस्तक झुक जाये… ऐसे दो महान तीर्थ जैन संघ को पूज्य श्री की प्रेरणा से मिली अद्भुत, अद्वितीय और आलौकिक सौगात है।

उपकारी संत
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पूज्यश्री की सत्वशीलता, साहसिकता, सत्यपुण्यशीलता और सत्प्रभावकता देखना और जानना हो तो सुरत से शिखरजी के 140 दिवसीय और चैन्नई से पलिताणा जी के 136 दिवसीय छ'रि पालक महासंघ को याद करना चाहिए। इन दोनों ही महासंघों के अतिसुन्दर स्मृतिग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं।

प्रतिवर्ष पूज्यश्री की निश्रा में उपधान, अंजनशलाकाएँ, प्रभु प्रतिष्ठा शिविर, युवावर्ग के लिए विशिष्ट प्रवचन, श्री नवकार मन्त्र आदि के विशिष्ट अनुष्ठान, युवा संगठन और साहित्य प्रकाशन… इन सभी के कारण पूज्यश्री जैन श्रीसंघ के सुप्रतिष्ठित मार्गदर्शक… युवाओं के पथ प्रदर्शक एक विरल उपकारी संत हैं, जो सदा धर्म संस्कृति की सुरक्षा में तत्पर हैं!

पू. आ. श्री हेमचंद्रसागर सूरीश्वर जी म. सा.
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